अनन्य श्री राधे राधे वंदन

 

राधे प्रेम रस अइसन प्यारी और प्रेमरस कोए ना भावे |

नशा इह जब चढ़ जाए चित्त बस धुन उस खो जावे ||


जय हो...जय हो...जय हो तेरी,

जय हो तेरी कृपा निधान |

दे दो प्रेम रस ऐसा भगवन,

हर सुर निकले राधे नाम ||


२.

मैं प्यासा प्रेमी तो तुम प्यार हो राधा,

प्रेम तत्व का तुम विस्तार हो राधा |


राधा...राधा...राधा...    आ...आ...आ...


प्रेम बिना जीवन सूना लागे,

अबोध खालीपन में चित्त भागे |

भर दें प्रेम रस इसमें प्यारी,

राधे राधे सुमिरन में हरदम जागे ||


हो परे ढोंग जीवन बन जाए सादा...

प्रेम तत्व का तुम विस्तार हो राधा |

मैं प्यासा प्रेमी तो तुम प्यार हो राधा,

प्रेम तत्व का तुम विस्तार हो राधा ||


राधा...राधा...राधा...    आ...आ...आ...


३.

बोलो राधे, राधे, राधे...बोलो राधे, राधे, राधे...

हमने बोला तुम भी बोलो...बोलो राधे, राधे, राधे...

उसने बोला हमने बोला, बोलो राधे, राधे, राधे...


भज लें राधे, राधे, राधे...राधे...राधे...राधे...नाम,

कट जाएं ये बंधन...पा लें भक्ति परम धाम ||



राधे राधे नाम जपूँ राधे राधे नाम रटूं ,

मन भागे जहाँ कहीं भी उस जगह मैं ये कहूं |


खुल जाए हर तार दिल का सरगम ये ही बजे,

बोलो राधे, राधे, राधे...बोलो राधे, राधे, राधे |

रचनाकार:- वाई. एस. राणा. साहेब 



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