नादान-ए-दिल

 

01.
तोहरी यादों के सहारे, हमने दिन हैं गुजारे |
काहे आए ना हरजाई, हमरा दिल तुझको पुकारे ||

नज़रें लगी हैं राहों पर, के कब दीद हो जाए |
तू रखे जहाँ-जहाँ कदम, मेरे हाथ पे धराए ||

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02.
दीदारे-ए-हुस्न से तेरे, संग झूमें ये नजारे |
तेरी यादों के सहारे, हमने दिन हैं गुजारे ||

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03.
कश्मकश उल्फ़त के खुद को रोक ना पाऊं |
तेरी सूरत आँखों में छाए, जिधर जाऊं ||

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04.
जी करदा है साहेब हो वालिहाना पैगाम |
जहाँ भी जाए काफ़िर ये मिले जिगरे मकाम ||

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05.
मेरे लब्जों में है तेरी हसीं दास्तां |
तू जहाँ न हो उस ठिकाने का दे पता,
दिल ने तेरी यादें नजाकत से संभाली,
इसमें रहता है तू जैसे के खुदा ||

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06.
नाराजे दिल भी आए, हमारे दर, ख़ुशनसीबी है |
वरना दीद-ए-सनम में, ज़माने गुज़र जाते हैं || 

07.
तुझपे चढ़ा है जानेजां हुस्नेग़ुरु़र |
उसपे दौलत-शोहरत में हो मग़रूर ||

08.
मयकशी शाम है, छलकता जाम है |
इश्क़-ए-जुनूं में, दीवाना बदनाम है ||

09.
जाने बगैर भी हो जाता है इश्क़ |
माने बगैर ही लिया जाता है रिश्क़,
जिगरे जुनूं से ही तफ़सील होता है ये,
मिले, न मिले, ना मुन्तज़िर गुफ़्तगू फ़िक्स ||

10.
दर से खुदा होती रहती है बारिश |
कैसे झेलूं इसे जब तक नहीं हूँ वारिश ||

कायम है सदा, ऐ खुदा मुक्कमल बारिश |
कैसे ओटून् रहमत को, जोकि होऊं न वारिश ||

11.
ख़ुलुश-ए-चश्म से तेरा तो है इन्तजार |
कैसा है तेरा पैमाना के नाप सके ये प्यार ||

12.
नज़्म-ए-इश्क़ हरेक में तेरा ना लूँ के नहीं |
वफ़ा-ए-उल्फ़त सबब नाराजे सनम न हो जाए ||

13.
कायनात ने बख़्शी हैं इनायतें आदमजात पर |
फिर भी बन्दया ज़ालिम बन जाते हैं ||
व्योम, वात, शुचि, तोय, धरा, कोई बना न पाए |
रबे दरगुज़र, ख़ुद को भूल, कैसे अकड़ दिखाते हैं ||

14.
दरकिनार रहे जहां, दिल में तू नज़ाफ़त मुस्कुराए |
स्वच्छ-ए-हयात रहे साहेब, फ़ुर्क़त सितम जो ढ़ाए ||

15.
दरबारे नूर से प्रेम बरसे, भाषा वो मौन है |
लब्ज आत जुस्तजू पा ज़ाहिर करे, प्यासा वो कौन है ||

प्यास ही रिझाती है पानी को अपनी ओर |
आब से ही प्यास की बंध रहती है डोर ||

तरस कसे सेतु साहेब, तत् क्रिया वो यौन है |
लब्ज आत जुस्तजू पा ज़ाहिर करे, प्यासा वो कौन है ||

16.
ख़ालिस-ए-मन से दिल में उतरा जाता है |
शुद्ध एक प्रेम ही तो ख़ुदा को पा पाता है ||

17.
वस्ले यार कब हो, दीदार कब हो, बेशुमार कब हो |
इज़हार कब हो, इक़रार कब हो, एतबार कब हो,
प्यार कब हो, बेशुमार कब हो, वस्ले यार कब हो ||

18.
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए |
सत् से चित्त जब मिले, से सुख में सुख समाए ||

कु-असत् घिरे इस घेरे में तो बिलख वो तड़प जाए |
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

मान चाहे न मान, बदले बदला न जाए |
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

जाने जीवन इस्मत से, ज़हमत घटती जाए |
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

जो है नहीं वो कैसे होगा, बात मगज रमाए |
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

कुदरत क्या पागल है, तुझे बार-बार इशराए |
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

अग्र शाश्वत बिन हासिल, हसियत निज बताए |
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

वो ही रक्षक वो ही भक्षक, कर्म टाले न जाए |
ये है वो सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

आओ साक़िब करें स्व जग को, रब ज्योत्स्ना अपनाए |
मुश्फ़िक है सत्य का पिंजरा, कौन समझ इसे पाए ||

19.
मैं हूँ वो मुसाफ़िर तू जिसकी रहगुज़र है |
तेरे बिन बेबश दिल का नहीं अब सफ़र है,
हाल-ए-दिल सुनाऊँ जिसमें तेरा ही ज़िकर है,
सिर्फ़ तू, सिर्फ़ तू, सिर्फ़ तू रज़े रहबर है ||

20.
मेरे यार दिलदार फ़ील करा दे वो प्यार |
जिसके लिए मैं हूँ सदियों से बेक़रार ||

21.
बडी दिलक़स तेरी अदाएं मुझे तेरी ओर लुभाएं |
जैसे चुम्बक कोई खींचे जो लोहा शुद्ध दिख जाए ||

22.
तेरे लबों की ये प्यास मेरे लिए बेहद ख़ास |
जिस दिन हो शादी हमारी पल बनेगा प्रेम रास ||

देव मारे काम बाण शक्ति का करे अंशदान |
हम मिलन से आए धरा पर जो होगा दिव्यवान ||

23.
जब से हम तेरे दीवाने हुए, तब से जग से बेगाने हुए |
हालत देख मेरे दुनिया, कभी तरस तो कभी हंस जाए,
जाने भी अनजाने हुए, जब से हम तेरे दीवाने हुए ||

24.
मेघा छाए बादल गरजे त्यों ही बारिश आए |
दिल की प्यास इस आब से भुज न पाए |
ये तो वो लम्हें हैं जो इसको और बढ़ाए |
दिल की प्यास इस आब से रुक न पाए ||

25.
दूर कर उस भीड़ से जो अनर्गल शोर मचाए |
पूछो तो मालूम नहीं घटना क्या बतलाए ||
A.
देश-प्रदेश को घाटा दे परेशानी बढ़ाए |
नसीहत दे औरों को खुद को भूल जाए ||

दूर कर उस भीड़ से जो अनर्गल शोर मचाए |
पूछो तो मालूम नहीं घटना क्या बतलाए ||
B.
बनता काम बिगाड़ परे खड़ी हो जाए |
जीता झूठ को फिर मगर अश्रु बहाए ||

दूर कर उस भीड़ से जो अनर्गल शोर मचाए |
पूछो तो मालूम नहीं घटना क्या बतलाए ||
C.
मूर्खता की हद से मुखौटा कैसा बनाए |
ज्ञान की अज्ञान में करकस धुन मिलाए ||

दूर कर उस भीड़ से जो अनर्गल शोर मचाए |
पूछो तो मालूम नहीं घटना क्या बतलाए ||
D.
सुसंगियों की टोली उस भीड़ में खो जाए |
सच को कहना चाहे पर झूठ में दब जाए ||

दूर कर उस भीड़ से जो अनर्गल शोर मचाए |
पूछो तो मालूम नहीं घटना क्या बतलाए ||
E.
राह खोजें ऐसी कि शीघ्र न्याय मिल पाए |
आत्म विवेक शक्ति से धर्म-सत्य-सु शिखराए ||

26.
इक ऐसी हो मुलाक़ात, बनी रहें सब याद,
तड़प हर जन्म में मिलने की, बढ़े वो नात,
चाहे मानव हो या कोई पशुजात,
देह हद पार प्यार, ना जीव पक्षपात,
सुनके बातें मेरी, हो सकता है आघात,
प्रेम किनारा है कहां, ना कोई अंत ना शुरुआत |

27.
बस एक तू ना कोई और मेरे साथ |
थामे रखना सदा अपने हाथों में हाथ ||
सच-न्याय के जहां में संभाले रखना |
दिन को भी वो ज्योत दे जैसे शान्त रहती रात ||

28.
कुछ-कुछ जाने हो अभी लेकिन अजब जादू है |
दीवाना ऐसा पागल है तेरी तलब में बेकाबू है ||

29.
कशिश तेरे मौन की नैनों से हाल-ए-दिल बताती है |
नदामत यौवन तेरा चिल्मन तृष्णा बुलाती है ||
ज़माने की बंदिशें नादिम को रुग्ण बनाती हैं |
कैसे मिटे तवाफ़े प्यास जो मिटने को आती है ||

30.
ख़ुशुक-ए-इश्क़ की कदर करनी सीख ले |
ये प्यार ख़रात नहीं मांगू जिसकी भीख दे ||
जिगरे जज़बा है कायम हासिल करने का भी |
हूँ ऐसा आशिक़ जिस राह चले छुटे लीक वे || 

31.
दिल के अरमां सारे छीन ही लिए |
जीना है तेरे लिए क्योंकि तेरे हो ही गए ||
प्यारी उन राहों में तेरी इन बाहों में |
गेसू की छावों में नींद गहरी सो ही गए ||

32.
किसी की आँखों में, आँखों की बातों में,
कोई तो होता है |
जिसके लिए रूमानी दिल, 
तसव्वुर संजोता है ||

किसी के ख़्वाबों में, ख़्वाबों की यादों में,
कोई तो होता है |
जिसके लिए रूमानी दिल,
सपने संजोता है || 

33.
इतना प्यारा मौसम होता है तभी,
दिल का नाला दिल में खिलता है कभी |
सोज़े वफ़ा में है मजरुह सनम,
सुरूर-ए-मस्ती में झूमे दीवाना तभी ||

33.
बिन सावन की बरसात, अचानक मुलाक़ात,
तो कैसे ना हो जाहिर दिल के जज़बात |
तेरा ये भीगा बदन, रय्याने यौवन,
हुस्ने शबाब तारीफ़ में गुम अल्फाज़ ||

34.
ख़ालिस प्रेम की ये प्यास है,
उसका एक अजीब ऐहसास है |
यूँ तो सारा जहां दीवाना होता है,
मगर कोई विरला ही इनमें ख़ास है ||

35.
ये वो प्यास नहीं यारा हर कोई समझ पाए जो |
इसके रस में ख़ुद-ब-ख़ुद आह-आहें भर जाए वो ||
मस्त मग्न मस्ती में छन-छन लब से लब मिलाए जो |
जुस्तजू बस एक की डूबे खो जाए वो ||

36.
खोजें निगाहें मेरी सनम मेरा कहाँ है |
पूछें राहें मेरी सनम मेरा कहाँ है ||

रहगुज़र में मौन है तेरी यादों का सफ़र |
पूछें बाहें मेरी सनम मेरा कहाँ है ||

क्या थी खता मेरी जो राह से गुम हुए |
जिधर से गुजरें नज़रें आँखें फिर फिर नम हुए ||

बोले आहें मेरी सनम मेरा कहाँ है |
खोजें निगाहें मेरी सनम मेरा कहाँ है ||

कैसा सोदाई यार ये बस ख़्वाबों में आए |
मगर जब नैना जगे पल में ही खो जाए ||

हक़ीक़त चाहे मेरी सनम मेरा कहाँ है |
खोजें निगाहें मेरी सनम मेरा कहाँ है ||

37.
तेरी बातें दिल बहलाती हैं |
तेरी यादें मुझे तड़पाती हैं ||
फ़िर भी तुझसे तो अच्छी हैं |
जब भी पुकारें चली आती हैं ||

38.
मैं वो राही हूँ जिसकी तू रहगुज़र है |
इस दिल के आशियाने का तू शहर है ||
हदें मोहब्बत को जानोगे कैसे बंद होके |
दिल का पंछी तेरा पिंजरे में बेख़बर है ||

39.
ना मैं कवि ना मैं शायर मैं हूँ बस तेरा दीवाना |
दिल के जज़बात कलम से लिखे, 
समझे समझे जो भी ज़माना ||
इश्क़-ए-सुरूर में बन ही जाता अफसाना |
दिल के जज़बात कलम से लिखे, 
समझे समझे जो भी ज़माना ||

40.
मेरा दिल चुरा के जानेजां अब चुप ना रहो |
अपने प्यारे अधरों से दिल की बातें कहो ||
ना घबरा उस सय्याद से होता जो हरजाई |
फिराक़-ए-इश्क़-ए-सुकूं में भी खुल के बहो ||

41.
मेरा सनम मुझे दीवाना कहे बुरा न मानू |
मेरा सनम मुझे परवाना कहे बुरा न मानू ||
हक़-ए-मोहब्बत है ये उनका जनाब |
मेरा सनम मुझे कुछ भी कहे बुरा न मानू ||

42.
प्यार की नोंक-झोक प्रेमी के लिए प्यारी होती है |
ग़र ना हो ये ज़िन्दगी में तो दुश्वारी होती है ||
कभी हँसना गाना, मुस्कुराना, रूठना फ़िर मनाना |
सच्चे आशिक़ों में यही तो ख़ुमारी होती है ||

प्यार हमेशा बढ़ता उसका जिसके दिल मैल नहीं |
रूठना-सताना हयाते दर्शन, धोखा देना खेल नहीं ||
जीवन है सत्य में विकसित, त्यागे जो आदम ना होवे |
बिन इसके तो "ऐ प्रिय" रूह में रूह का कोई मेल नहीं ||

43.
दिल मेरा तब से बेक़रार हुआ |
जब से हसीं सनम का दीदार हुआ ||
तू जान या ना मान इंतज़ार हुआ |
बिन इज़हार हुआ तुझसे प्यार हुआ ||

44.
तुमसे ही महके ये बहारें, तेरे बिन इनका सूना ये जहां रे |
जब-जब मुस्कुराओ तुम, संग झूमे ये प्यारे,
हो उदास मेरा बालम, सिकुड़ जाएं खिले नज़ारें,
तुमसे ही महके ये बहारें, तेरे बिन इनका सूना ये जहां रे ||

45.
तेरे दिल की पुकार मुझको बुलाए है,
ना तू मुझको जाने ना मैं तुझको जानू ,
फ़िर भी अनजानी सी डोर बंधाए है |

46.
पल ये सुहाना, भूल जाना नहीं,
याद आए ना आए भूलाना नहीं |
नैना तेरे तिरछी कटार, 
कर गए हैं ये मेरे दिल पर वार ||

इक पल में ही कैसे हो गया ये प्यार,
हो गया ये प्यार |

कोई जलाए मगर तुम जलाना नहीं, जलाना नहीं |
याद आए ना आए तुम भूलाना नहीं, भूलाना नहीं ||

47.
बीतें लम्हों से यारां मत होना तुम निराश,
जोश पैदा कर ऐसा सत्य की हो तीव्र प्यास |
घेरती हैं इसी तरह से यादें बुरी बार-बार,
संकल्प शक्ति से कर सकते हो इनका विनाश ||


48.
ईष्ट आपसे जीत ना पाऊँगा, पर जीत आपसे ही पाऊँगा,
समझे रसिक सत्य को, उसकी धुन में प्रेम फैलाऊंगा |
जाल एक प्रकार अनेक, दलदल में धंसता इह जावत,
इक-न-इक दिन मोरे साहेब, तोड़ इसे पार हो जाऊँगा ||


49.
सद्-धर्म-न्याय रक्षक होते हैं वे देव मूल,
बाकि हैं वर्णशंकर गए जो अपने को भूल |
राजवंशी प्रथम धर्म इनको वे विकसित करें,
मार्ग पर टिके रहें मिलते हों कांटे या फूल ||

सारबिन्दु:- जो मनुष्य सद्मार्ग-धर्म-न्याय में प्रज्ञावान है और उनके उत्थान के लिए प्रयत्नरत है चाहे वो किसी भी जाति-धर्म-वंश का हो वह देवलोकानुसार सर्वश्रेष्ठ होता है |
उदाहरण:- भगवान श्री कृष्णा, वीर पाण्डव अर्जुन, सद्गुरु नानक जी महाराज, सद्गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज, कबीरदास जी महाराज, रविदास जी महाराज, तुलसीदास जी महाराज, वाल्मीकि जी महाराज, भगवान बुद्ध जी, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, सद्गुरु ओशो जी महाराज, भगवान विष्णु जी, भगवान ब्रह्मदेव जी, भगवान महादेव जी आदि |


50.
ऐ साहेब ! लाखों हैं मेरे जैसे,
फ़िर भी हैं अरबों में एक |
गुरु कृपा से दिव्य गोपी प्रेम,
चित्त में मन के भाव नेक ||


51.
तेरे प्रेमी दिल का होता अब असर,
लगता ऐसे के तू मेरा हमसफ़र |
इश्क़ ही इश्क़ की जानेजाना,
करता है कदर...ऐ मेरे रहगुज़र ||


52.
नित निहारूँ साहेब तेरी प्यारी सी तस्वीर,
लिखने वाला लिखता है हम बन्दिया तक़दीर |
हर इंसां को आज़ादी बदले निज मुक्कदर,
रूहप्रेम तरंग पाए कष्ट तोड़ दे वो जंज़ीर ||
 

53.
नित निहारूँ साहेब तेरी प्यारी सी तस्वीर,
चाँद सा शांत चेहरा प्यारे जैसे क्षीर |
तुमसे पाऊं आत्मसंगत ऐ मेरे बाँवरिया,
तेरे विरह मिलन आश में चित्त रखता धीर ||


54.
तेरी प्यारी सादगी पे, सदियों का,
बेक़रार दिल, निसार हुआ है |
लाखों हैं हसीं चेहरें, इस जहां में,
तेरी इबादत से, दिल के आईने में,
तेरा ही दीदार हुआ है |
ख़ुदा की रहमत से तुमसे प्यार हुआ है ||


55.
जब कुछ न भाए बार-बार मन बहकाए,
सब वस्तु होने पर भी मन की उदासी मिट न पाए |
संभाल के रखना देवताओं के तोहफ़े तन-मन को,
आ जाना हमरे पास जब कहीं रहा न जाए ||


56.
दुनिया से टूट जाए जब भी मोह तोहार,
आ जाए याद दिल में छुपा हमरा प्यार |
गलत कदम मत उठा लेना जहां के दुःखों में,
निर्भय होकर बिन परवाह आ जाना,
सदा खुला है हमरे दिल का द्वार ||


57.
दिल की दुआओं में तेरा नाम है,
माना मैं तुझसे तू मुझसे अनजान है |
ख़ुदा की रहमत से मिलेंगे 
इक-न-इक दिन जब,
जाहिर करना दिल-ए-अरमान है,
जाने सब जो वही भगवान है ||


58.
दिल में उठता लम्हा यही कहता है,
तेरी कदर में खोया रहता है |
मुझसे कष्ट न हो मेरे सनम को,
उनके लिए तो मेरा इश्क़ बहता है ||


59.
सार वेद-उपनिषद समझ आ जाईं,
जानहि ते भगवान श्री कृष्णा शास्त्र |
जहाँ रहि जैसन चाहिं मन भक्ति करि,
त्यजे कुमार्ग जस दिन बनि सुपात्र ||


60.
कोई बुलाए ना बुलाए मैं तो आऊंगा,
जिसने जो किया सब दिखलाऊंगा |
सद्धर्म को बचाकर,
अधर्मी की औकात उसे बतलाऊंगा ||


61.
तेरी यादों में झलकते अश्क़ कहते हैं,
तोड़ दाब बंद को नैनों से बहते हैं |

मेरे दिल के सिवा तेरा 
कोई पता मालूम नहीं है,

कभी बातें-मुलाकातें होंगी
तेरे विरह प्यार में ही जीते हैं ||


62.
तेरे दिल की आहें जब-जब मुझको पुकारा करें,
मेरा दिल ऐ सनम तेरी ओर जाने का इशारा करे |
तेरी आँखों में इंतज़ार और लबों में झलकता प्यार
जब फोटो में निहारा करें,
मेरा दिल ऐ सनम तेरी ओर जाने का इशारा करे ||


63.
 नज़्म में हमारी दुआ है
फरमान नहीं,
तार जब दिल के जुड़ते हैं 
रहता वो अनजान नहीं |
द्वार दिल का खुला है दोस्त 
प्रेम खातिर
बिन कहे हर बात जाने कैसे 
इंसान हैं भगवान नहीं ||


64.
दुआ है किसी में तो 
किसी में प्रेरणा है फरमान नहीं,
चोट खाए दिल पे 
मरहम है इल्ज़ाम नहीं |
वक़्त रहते संभल जाना 
यार-ए-जिगर,
वैसे राह में कांटें ही कांटें हैं
गुल-ए-बाम नहीं ||


65.
देह दो धारि एक प्राण में
टूटे ता अभिमान,
हो कदर इक-दूजे की 
सारे सब धर्मान |
शब्द ना कोई है पत्नी 
पति में रहे वो ईमान ,
जो ना समझी इह विद्या 
का जनि भगवान ||

ढोंगियन भरमात हैं जगते जन,
तिगड़-बिगड़ करत सद नियम |
सनातन के कईनि नाशवान,
विद्या इह ना समझी का जनि भगवान ||


66.
पौरुष शौर्य साहस ते नारी वंशे मान अभिमान,
सफल ओदा जीवन नारी जेड़ी दैवीय गुणवान |
कादे लई कूड़े कचरे ते पीछे भगिया बन्दे प्यारे,
जे जाणे असली धन नु हुण पल बणी धनवान ||


67.
तोहरी याद बहुत आती है आजकल,
मन ठहरा हुआ भी जाता है मचल |
गोपीयन सद्प्रेम में ही खींचता जाऊं,
मोरे दिल में रहती है उनकी हलचल ||


68.
नींद खो गई दिल को भी चैन नहीं,
जहाँ देखूं जिसे देखूं दिखती तू ही |
क्या करें अब मेरे राही सनम प्यारे,
मिलूं तुमसे कैसे रस्ता मालूम नहीं ||


69.
जो जाने अपने सब बेगाने हो गए,
बेगाने तो ठीक मगर धोखे में खो गए |
ख़ुद ही ख़ुद में जीते हैं अब,
प्यार की तलाश थी नफ़रत में मोह गए ||


70.
आशिक़ की आँखों में जब आँसूं होता है,
दर्द-ए-दिल की तड़पन से आसमां भी रोता है |
पंछी आकर दिल बहलाते, मीठे-मीठे गीत सुनाते,
दीवाना जागे महबूबा की यादों में 
जब सारा जहां सोता है ||


71.
नज़र लग जाए न तुझको दुनिया से छुपाया है,
तेरी जुदाई ने ऐ सनम हमको बहुत रुलाया है |
फ़िर भी कम ना हो इश्क़ हमारा जहां के गम से,
कभी तुमने कभी हमने एक-दूजे को सताया है ||


72.
लुटा न देना बेसकिमती ख़जाना,
देवता हसेंगे सताएगा बेदर्दी जमाना |
सम्भालना हर कदम अपनी राह में,
वक़्त-बेवक़्त ऐ सनम ! ख़ुद में जाना ||


73.
समन्दर मेल नदियों की प्यास,
कड़वा रहकर भी उनका ख़ास |
सहती सारी दुःख-विपदा पथ में,
प्रेमवश तरंग में अन्तत: समास ||


74.
नात ना पूछो औकात ना पूछो,
भंवरा हूँ अनजान सा...
दिन ना पूछो रात ना पूछो,
दीवाना हूँ मेरी जान का...
मिलके अच्छे से जान लेना हमें,
प्रेमराही हूँ राधे धाम का ||


75.
नकली होता नकली, असली से कुछ सीख,
आया सामने सत्, बहरूपिया मांगे प्राण भीख |
क़ुदरत के नियम में सत्य को जाने,
हार में हारे नहीं, पा लेता है वो जीत ||


76.
मौसम में बेमौसम आना सन्देश है,
ख़ुदा की कशमकश में छिपा उपदेश है |
मानव को देते बार-बार संकेत सही,
मेरे प्यारे ! वो हर कार्य श्री गणेश है ||


77.
किसी की धरोहर, किसी पे लुटाई,
मिल रकीबों संग, की बेवफाई |
नकारा अनमोल प्रेम, किस चाह में,
रहती हमेशा जो, खो दी वो कमाई ||


78.
मोहब्बत्त थी, मोहब्बत्त है,
मोहब्बत्त रहेगी सदा |
जिसने इसको माना,
प्रेम करके जाना,
उसकी राहों में , मिले ख़ुदा ||


79.
दिल रो रहा है तेरा लबों पे मुस्कान है,
चेहरे पे अनकही बातें मगर होता बेजुबान है |
जीवन की हर झलक माथे की लकीरों में,
खोजें नज़रें उसे जिसमें बसी तेरी जान है ||


80.
दिल से निकले जब राधे...राधे...नाम रे...
तन मन हो शुद्ध बन जाएं सद् इंसान रे...
देखें आजमा के राधे नाम शक्ति को...
पाप-पुण्य से परे मिलते भगवान रे...

या 

दिल से निकले जब भगवन...नाम रे...
तन मन हो शुद्ध बन जाएं सद् इंसान रे...
देखें आजमा के उस नाम शक्ति को...
जे करते बहुते नाम महिमा गुणगान रे...

81.
इश्क़ है दिल की आवाज,
कितना प्यारा अहसास |
जिससे कोई नात नहीं,
हो जाता वो बेहद ख़ास ||

ख़ास हो मगर संस्कार न भूलाना,
प्यार की राह में सद्मार्ग न गंवाना |
प्रेम डगर तो उत्थान है जीवन की,
सच्चा प्रेम वो जेहे न पड़े पछताना ||

नोट:- "संस्कार का इसमें अर्थ है अपने शुद्धत्तम रूप में मूल की ओर अग्रसर"


नोट:- ये सभी (भिन्न-भिन्न) काव्य/अशआर परमात्मा के सज्दे में हैं...धन्यवाद |

रचनाकार :- वाई. एस. राणा. साहेब 







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