इक साल के लिए, तू बन जाए सजनी मेरी,
मैं हो जाऊं साजन तेरा, इस मस्ती में खूब नाचेंगे,
जब डैड को पता लग जाए, बहुत डाटेंगें,
और मॉम जान जाए, बहुत डाटेंगें,
हम बच्चों की सादगी को कैसे जानेंगे,
मॉम-डैड जी बहुत डाटेंगें |
शादी वाला लालकी लहंगा, पहनकर जब आओगे,
देख के तेरी प्यारी सुरत, जी, तो ज़ी ललचाओगे |
हम भी पहने शेरवानी, जो ना तुम डराओगे,
नादान प्रेमी भोलेपन का, मजाक ना बनाओगे ||
रंज-ए-दोस्त इन लम्हों को, तुमसे तो नाटेंगे,
मॉम-डैड जी बहुत डाटेंगें |
झूठ-मूठ का ब्याह, कैसा ये फन हुआ, ओ...ओ.......
नींद टूटी आँखें खुली और सपने से जगा, हो...हो.......
भाभी बोले सुन रे देवरिया, क्या किया था कोई नशा, आ..आ.......
फ़िर मैंने कहा, काश! ये सच हो गया होता, हूँ...हूँ.......
ना जगता तो उस लड़की से ब्याह हो गया होता...पियानो सरगम...
हम पर तो यकीं नहीं ओरों की मानेंगे,
मॉम-डैड जी बहुत डाटेंगें |
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रचनाकार:- वाई. एस. राणा. साहेब
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