इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना |
ऐसे दीवाने को ही पागल कहे ज़माना ||
रांझा, मजनू जैसे आशिक़ आशिक़ी नाम है |
और वजह क्या इसकी इश्क़-ए-पयाम है ||
खो दे जो इस जुनूं को ना खिले तराना |
इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||
ये वो लत है यारां घट के घटती नहीं है |
दाबे-दबाये कोई दिल से मिटती नहीं है ||
प्यार के जहां में बनता चले फ़साना |
इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||
नाचे-गाए प्यारे ऐसी ये मस्ती है |
देखें प्रेमी नज़रें प्यारी इक बस्ती है ||
मस्त की बस्ती में झूमता मस्ताना |
इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||
कांटों के बगैर गुल की कदर नहीं है |
लग्न-ए-ख़ुदा में कोई फ़िकर नहीं है ||
मैं रिझता हूँ क्योंकि उसको है रिझाना |
इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||
जुस्तजू है जिसकी हसीना मिलनी है |
मैं-तुम में वस्ल रूहें खिलनी है ||
मुन्तज़िर हूँ उन पलों का जो बने बहाना |
इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||
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