Ishq-E-Raahi / इश्क़-ए-राही


 इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना |

ऐसे दीवाने को ही पागल कहे ज़माना ||


रांझा, मजनू  जैसे आशिक़ आशिक़ी नाम है |

और वजह क्या इसकी इश्क़-ए-पयाम है ||


खो दे जो इस जुनूं को ना खिले तराना |

 इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||


ये वो लत है यारां घट के घटती नहीं है |

दाबे-दबाये कोई दिल से मिटती नहीं है ||


प्यार के जहां में बनता चले फ़साना |

 इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||


नाचे-गाए प्यारे ऐसी ये मस्ती है |

देखें प्रेमी नज़रें प्यारी इक बस्ती है ||


मस्त की बस्ती में झूमता मस्ताना |

 इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||


कांटों के बगैर गुल की कदर नहीं है |

लग्न-ए-ख़ुदा में कोई फ़िकर नहीं है ||


मैं रिझता हूँ क्योंकि उसको है रिझाना |

 इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||


जुस्तजू है जिसकी हसीना मिलनी है |

मैं-तुम में वस्ल रूहें खिलनी है ||


मुन्तज़िर हूँ उन पलों का जो बने बहाना |

 इश्क़-ए-राही का ना घर ना ठिकाना ||


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(Not Sold)


रचनाकार : - वाई. एस. राणा. साहेब








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