हार जो जिन्दगी में मान लेता है,
मन में यही निश्चय ठान लेता है,
कि जीत तो उससे दूर जा रही है,
पराजय ही पराजय उसको खा रही है |
पराजय उपरांत विजय अवश्य आती है,
हर्ष का पल तेरे हेतु वो लाती है,
सुख-दु:ख तो है आनी-जानी चीज,
इस पहिये को समझ पाना है अजीब |
पराजय से तू मत हो जाना जर्जर,
कठिन हो जाएगा नहीं तो दुस्तर,
सत्वर से अगर संभल जाएगा,
तर्ह्येव पराजय पर विजय पाएगा |
जिगर में है अगर दृप्त धार,
हो सकता है तभी सरिता पार,
उत्कलित कर ले अपना ढंग,
विपरीत परिस्थितियों में भी,
ह्रदय से मत होना विकल ,
कीचड़ में रहने बावजूद,
समोद रहता है शतदल |
जब भी आती है बुराई,
उसे जीतती ही सच्चाई,
वाई.एस.राणा साहेब
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