इश्क़-ए-नशा_ग़ज़ल

महफ़िल में बांधा समा है, दिलों में धड़कन जवां है,
राहों पर नज़रें टिकी हैं, आँखों में प्यासी रजा है |
प्रेमी दिल तो बस प्रेम ही चाहे, 
उसके सिवा ना कोई नशा है ||

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(Not Sold)

रचनाकार:- वाई. एस. राणा. साहेब 

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